
Pawan Pandit, Chairman Bhartiya Gau Raksha Dal
गौ रक्षा एक आंदोलन है , रोड साइड लड़ाई नहीं। और ये आंदोलन आज से शुरू नहीं हुआ है सदियों से ये संघर्ष जारी है।
ये समझना बेहद जरुरी है कि गौ सेवा करने वाले लोग किसी समुदाय के खिलाफ नहीं लड़ रहे बल्कि वो समाज कल्याण के लिए अपना योगदान दे रहे हैं मगर कुछ तथाकथित समाजवाद का नारा देने वाले लोग अपनी तुच्छ मानसिकता के कारण इस आंदोलन को बार बार तोड़ रहें हैं मैं उनको सिर्फ ये कहना चाहता हूँ कि जो लोग अपनी निजी गुटबाजी और राजनैतिक स्वार्थ के कारण भारत जैसे सांस्कृतिक एवं धार्मिक देश में गाय को अपना खाना बताकर और खाने को अपना संविधानिक अधिकार कहकर आंदोलन के खिलाफ खड़े होने की अमानवीय भूल कर रहे हैं असल में वो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विचारों के खिलाफ खड़े हैं और वो उन तमाम महापुरूषों के खिलाफ हैं जिन्होंने अपने -अपने समय में भारत निर्माण में अहम योगदान दिया था और गौ रक्षा की वकालत करते हुवे आवाज उठायी थी और जो लोग इस पवित्र आंदोलन को गुंडागर्दी और साम्प्रदायिकता से जोड़ रहे हैं उनके लिए गाँधी जी का यह व्यक्तव्य “मेरे लिए असली आजादी तब होगी जब भारत में गौ हत्या पूर्ण रूप से बंद होगी ” अपने आप में उनके बनावटी और स्वार्थी धर्मनिर्पेक्षता को आइना दिखाता है।
अंत में मुझे अपने कार्यकर्ताओं और देशवासियों से ये कहना है कि आप जान लें गौ रक्षा में
कोई राजनीतिक करियर नहीं है , न पैसा है और न ही पद प्राप्त करना है. एक समाज सेवा है और हमें इस पर विश्वास है. अगर आपने गोहत्या को भारत जैसे देश में आसान बना दिया तो बीस वर्ष बाद हम डिबेट कर रहे होंगे एक नए जीव के मांस के लिए. वो जीव इंसान होगा, पशु नहीं।
लेकिन ये सच है , अगर हम गाय बचा रहे हैं इसका मतलब है हम इंसानियत बचा रहे हैं ,
अगर हम गाय बचा रहे हैं इसका मतलब है हम किसान बचा रहे हैं ,
अगर हम गाय बचा रहे हैं इसका मतलब है हम पर्यावरण बचा रहे हैं ,
अगर हम गाय बचा रहे हैं इसका मतलब है हम हमारी संस्कृति बचा रहे हैं ,
अगर हम गाय बचा रहे हैं इसका मतलब है हम भारत बचा रहे हैं ,
आपका
पवन पंडित