हर देश भक्त के ह्रदय में एक नारे को अंकित करने जा रहा हैं, भारतीय गौ रक्षा दल। वह नारा हैं ‘हर हर गाय -घर घर गाय’। हमारी भारतीय सभ्यता दस हज़ार वर्षों पुरानी है। हमारें पूर्वजों ने ही संसार को मनुष्यता सिखाई। विज्ञानं का प्रारंभ हमारें ऋषियों ने ही किया था । पुराणिक काल में अनेक विज्ञानिक शोध हुए। जिन को आधार मान कर मनुष्य के लिए मानवीय मूल्यों का निधारण किया गया। तथा उनमें जीव हत्या को महा अपराध माना गया। तथा उसमे भी दूध देने वाले पशु की हत्या घोर अपराध मानी गयी। गाय पे हुए शोधों के कारण भारतीय जन-मानस ने गाय को गौ माता कह कर पूजना प्रारंभ किया। जो करूर मानव गौ मॉस खाते रहे उन्हें दानव अथवा राक्षस की संज्ञा दी गयी। इन ही दैत्यों का विनाश भरत खंड के बहुत बड़े भू-भाग से मर्यादा पुरषोतम श्री राम चन्द्र जी ने किया। और जब राम राज्य का उदय हुआ तो हिमालय से लेके लंका,महिलाका , बाली, इत्यादि सहस्त्रों द्वीपों और समस्त भरत खंड में गौ हत्या पर निषेद लगा। योगेश्वर श्री कृष्ण ने भी एक ऊँगली पर पहाड़ उठा कर गौ रक्षा की। गौ रक्षा का आदर्श स्थापित करने के कारण ही उन्हें गोविन्द कहा जाता हैं। समय समय पर आस्था के क्षितिज पर भारत वर्ष में अनेक क्रांतियाँ हुई। तथागत बुध , वर्धमान महावीर, आदि गुरु शंकराचार्य , रामानुजाचार्य , माधवाचार्य ,इत्यादि इत्यादि अनेक महापुरुषों ने भांति भांति की साधना – उपासना पद्धतियाँ भारत के जन मानस को सिखाई। उन सभी पंथो , मतों , सम्प्रदायों में गौ माता को पूजनीय और अराधनिये माना गया। कालांतर में इस भरत खंड पर अनेक आकर्मण हुए। यवन, शक, हूण,अहोम और मनक्या,इत्यादि ने जब यहाँ शासन करना चाहा तो